Thursday 29 March 2018

(11) Dictionary of B in computer

  1. बायोस (BIOS) - BIOS कंप्‍यूटर के ऑन होने पर रैम, प्रोसेसर, की-बोर्ड, माउस, हार्ड ड्राइव की पहचान कर उन्‍हें कन्फिगर (Configure) करता है। बायोस (BIOS) की Full Form है बेसिक इनपुट आउटपुट सिस्‍टम (Basic Input Output System)
  2. ब्राउज़र (Browser) - वेब ब्राउज़र एक ऐसा सॉफ्टवेयर होता है जो आपको इंटरनेट पर उपलब्‍ध सामग्री जैसे ब्‍लॉग बेवसाइट पर उपलब्ध लेख, इमेज, वीडियो और ऑडियो और गेम्‍स आदि को देखने और प्रयोग करने में अापकी सहायता करता है। 
  3. बायनरी सिस्‍टम (Binary System) - कंप्यूटर बाइनरी गणना पर ही चलता है क्यों की इलेक्ट्रॉनिक्स में किसी भी सिग्नल की चालू या  बंद दो ही अवस्था हो सकती है बाइनरी नंबर सिस्टम (द्विआधारी संख्या प्रणाली) में कोई भी संख्या सिर्फ 2 अंको के माध्यम से ही लिखी जाती है, वे दो अंक है 0 और 1
  4. बाइट (Byte) -  बिट कंप्यूटर की मैमाेरी सबसे छोटी इकाई होती है और 8 बिट को मिलाकर 1 बाइट बनता है, बाइट कंप्यूटर की स्मृति में एक अक्षर द्वारा ली जाने वाली जगह को कहते हैं 
  5. बारकोड (Barcode) - बारकोड (Barcode) पतली व गहरी मोटी काली रेखाओं के संयोजन से प्रत्येक वस्तु पर मुद्रित किया जाता है जिसे दुकानों या सुपर मार्किट में कंप्यूटर की मदद से पढ़ा जाता है, उस वस्तु के बारे में सब तरह की जानकारी (वस्तु का नाम, वस्तु की मात्रा, उसका मूल्य इत्यादि) दे देता है। इसेे पढने के लिये बारकाेेेड रीडर की आवश्‍यकता होती है 
  6. बूट (Boot) -  कंप्‍यूटर स्‍टार्ट करने पर सीपीयू (CPU) और बायोस (BIOS) मिलकर कंप्‍यूटर को स्‍कैन करते हैं, बायोस (BIOS) बूटिंग डिवाइस को सर्च करता हैै और विडाेेंज काे शुरू करता है इस प्रि‍क्रिया काे बूट करना कहते हैं 
  7. बैकस्पेस (Back Space) - कम्‍प्‍यूटर की-बोर्ड मेें बैकस्पेस बटन द्वारा कर्सर के बार्इ और लिखे अक्षर को मिटा सकते है। ऐसा करने पर कर्सर अन्त में टाइप किए गए अक्षर को मिटाने हुए बार्इ ओर लौटता है।
  8. बैकअप (Backup) - कंप्‍यूटर की भाषा में आपके डाटा का एक और डुप्‍लीकेट प्रति बनाना बैकअप लेना कहलाता है ताकि  डेटा का नुकसान होने के बाद उन्‍हें दोबारा प्राप्‍त किया जा सके 
  9. बेड सेक्टर (Bad Sector) - हार्ड डिस्क का कुछ हिस्‍सा जो डाटा स्‍टोर करने लायक नहीं रहता है यानि बेकार हो जाता है वह बेड सेक्टर (Bad Sector) कहते हैं
  10. बैच फ़ाइल (batch file) - बैच फ़ाइल (batch file) में क्रमबद्ध तरीके से लिखे हुए डॉस कमांड होते हैं। साधारणतया बार-बार किए जाने वाले काम को अपने आप करवाने के लिए उसे लिखा जाता है। बजाय इसके कि कमांड को बार-बार टाइप करना पड़े
  11. बीटा (Beta) - किसी नये Software को लांच करने से पहले उसका Test Version लांच किया जाता है जिससे उसकी कमिंया पता चल सकेंं, इसे टेस्‍ट वर्जन को ही बीटा वर्जन (Beta Version) भी कहते हैैं
  12. बिग डाटा (Big data) - बिग डाटा (Big data) बहुत सारे डेटा सेट का संग्रह होता है यह बहुत बडा और जटिल हाेता है, बिग डाटा (Big data) का प्रयाेेेग सटीकटा से जानकारी प्राप्‍त करने के लिये किया जाता है 
  13. बिटकॉइन (Bitcoin) - बिटकॉइन (Bitcoinएक आभासी मुद्रा यानि वर्चुअल करेंसी (Virtual Currency) है, इसके इस्तेमाल और भुगतान के लिये क्रिप्टोग्राफी (Cryptography) का इस्तेमाल किया जाता है इसलिये इसे क्रिप्टो करेंसी (Crypto currency) भी कहा जाता है। 
  14. बिटमैप (Bitmap) - कंप्‍यूटर में डाटा को 0 और 1 के रूप में रखा जाता है, इसे बिट कहते है और जब इन सूचनाओं का एक मैप तैयार किया जाता है तो इसे बिटमैप (Bitmap) कहते हैं 
  15. बिट टोरेंट (Bittorrent) बिट टोरेंट (Bittorrent) एक Torrent Client है जिसके माध्‍यम से आप अासानी से Torrent download कर सकते हैं, यह internet download manager की तरह ही एक software होता है, जो Torrent files को download और upload करने के काम आता है
  16. ब्लॉग (Blog) - ब्लॉग वेब-लॉग शब्द का संक्षिप्त रूप है, यह एक प्रकार की ऑनलाइन पर्सनल डायरी होती है, जहाँ आप कुछ भी लिख सकते हैं, इस शब्‍द का प्रयोग प्रथम बार 1997 में अमेरिका किया गया था  हिन्दी भाषा में ब्लॉग को "चिठ्ठा"कहा जाता है।
  17. ब्लॉगर (Bloger) - ब्लॉग (Blog) लिखने वाले व्‍यक्ति को ब्लॉगर (Bloger) या चिट्ठाकार कहा जाता है 
  18. ब्लॉगिंग (Blogging) - ब्लॉग (Blog) पर ब्लॉगर (Bloger) द्वारा लगातार  लेख, ऑडियाे या वीडियो आदि पोस्ट करना ब्लॉगिंग (Blogging) कहलाता है 
  19. ब्लू रे डिस्‍क (Blu Ray Disc) - CD और DVD के बाद फ़िल्मों और डेटा के स्‍टोर करने के लियेब्लू रे डिस्‍क (Blu Ray Disc) का प्रयोग किया जा रहा है इसे पढने के लिये जिस प्रकाश्‍ा का प्रयाेेेग किया जाता है वह नीले रंग का होता है, ब्लू रे डिस्‍क (Blu Ray Disc) पर 50 गीगा बाइट डाटा स्‍टाेर किया जा सकता है 
  20. ब्लूटूथ (Bluetooth) - ब्लूटूथ एक वायरलेस तकनीक है दो या और अधिक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस एक दूसरे से वॉइस (voice) और डेटा (data) के आदान प्रदान के लिए ब्लूटूथ टेक्नोलॉजी (Bluetooth technology) का उपयोग किया जाता है
  21. बुकमार्क (Bookmarks) - बुकमार्क (Bookmarks) वेबसाइट के वह लिंक्स होते हैं जो आपके वेबब्राउजर में सेव कर लिये जाते हैं और कभी बुकमार्क (Bookmarks) पर क्लिक कर आप अपने पंसदीदा वेबपेज पर सीधे जा सकते हैं 
  22. बॉट (Bot) - इन्‍हें वेब रोबॉट भी कहा जाता है, ये सॉफ्टवेयर कोडिंग का एक सेट लेआउट होता है। बॉट कृत्रिम रूप से बुद्धिमान प्रोग्राम है इन्‍हेंं आपकी सहूलियत के लिये डिजायन किया गया है यह कई प्रकार के होते हैं जैसेे चैटिंग बॉट, शॉपिंग बॉट, अडवाइजरी बॉट

(10) dictionary of A in computer

  1. एड्रेस बार (Address bar) - यह आपके वेब ब्राउजर का वह हिस्‍सा होता है जहां आप कोई भी वेब एड्रेस टाइप करते हैं  
  2. एंटीवायरस (Antivirus) - एंटीवायरस (Antivirus) एक प्रकार के Software होते हैं जो आपके Computer को Computer Virus से Protect करते हैं
  3. एक्टिव सेल (Active cell) - इस शब्‍द का प्रयोग Microsoft Excel में किया जाता है, जो cell माउस या की-बोर्ड की सहायता से select किया जाता है और उस सेल के चारों ओर गहरा काला बाॅडर बन जाता है, इस सेल काे एक्टिव सेल (Active cell) कहते हैं 
  4. अबेकस (Abacus) - अबेकस (Abacus)अबेकस पहला ऐसा कंप्यूटर था, जो गणना कर सकता था। अबेकस का निर्माण लगभग 3000 वर्ष पूर्व चीन के वैज्ञानिकोँ ने किया था। एक आयताकार फ्रेम में लोहे की छड़ोँ में लकडी की गोलियाँ लगी रहती थी जिनको ऊपर नीचे करके गणना या केलकुलेशन की जाती थी। यानी यह बिना बिजली के चलने वाला पहला कंप्यूटर था वास्तव मेँ यह काम करने के लिए आपके हाथ्‍ाों पर ही निर्भर था।
  5. एक्‍सेस (Access) - जब आप अपने कंप्‍यूटर या ईमेल पर वैध तरीके से अपनी पहुॅच बनाते हैं या खोलते हैं जिसके लिये आप Username और password का प्रयोग करते हैं और तो साधारण्‍ा भ्‍ााष्‍ाा मेंं कहा जायेगा कि आप अपने खाते को एक्‍सेस (access) कर पा रहे हैं 
  6. अकाउंट (Account) - यह एक प्रकार की मेंबरशिप होती है जो अाप किसी भी नेटवर्क पर जैसे ऑनलाइन शॉपिंग, ऑनलाइन बैंकिग, ईमेल सर्विस या अपने पर्सनल कंप्‍यूटर पर बनाते हैं, अकाउंट (Account) बनाने के लिये आपकी निजी जानकारी जैसे आपका नाम, पता आपका माेबाइल नंबर या आपका ईमेल आईडी भी शामिल हो सकता है
  7. एक्रोबेट रीडर (Acrobat Reader) - Adobe कंपनी ने एक फाइल फार्मेट डेवलप की है जिसका नाम .PDF है यानि Portable Document Format अब इस .PDF काे रीड करने के लिये या ओपन करने के लिये बनाया गया Adobe Acrobat Reader, इसमें किसी भी प्रकार की PDF फाइल का रीड किया जा सकता है और प्रिंट किया जा सकता है
  8. एडमिन (admin) - इसे Administrator या superuser भ्‍ाी कहते हैं, अगर आपके पास Computer, किसी नेटवर्क या किसी सोशल मीडीया ग्रुप का पूरा कंट्रोल है तो आप एडमिन (admin) या Administrator कहलायेगें 
  9. एडोब फाेटोशॉप (Adobe Photoshop) - फोटोशॉप दुनिया में Digital Imaging हेतु प्रयोग किया जाने वाला सबसे Popular Software है यह Adobe कम्‍पनी द्वारा बनाया गया है
  10. ऐडसेंस (AdSense) - इसे Google Ad Sense के नाम से जाना जाता है ऐडसेंस (AdSense) वेबसाइट और ब्‍लॉग स्वामियों को वेबसाइट और ब्‍लॉग की सामग्री से ऑनलाइन पैसे कमाने का तरीका प्रदान करता है 
  11. एडवेयर (Adware) - यह एक प्रकार का वायरस होता है जो आपके ब्राउजर में अपने आप इंस्‍टॉल हो जाता है, और आपको पूरे वेबपेज पर अनचाहे और जरूरत से ज्‍यादा विज्ञापन प्रदर्शित करता है
  12. ऐडवर्ड्स (AdWords) - ऐडवर्ड्स (AdWords) गूगल की advertising service है जो ब्‍लॉगस, यूट्यूबर्स और अन्‍य वेबसाइट Publishers के लिये काम करती है, इसमें आप अपने किसी भी बिजनेस और वेेबसाइट या यूट्यूूूब चैनल का विज्ञापन कर सकते हैं इसके लिये आपको AdWords account बनना आवश्‍यक है
  13. एंड्राइड (Android) - एंड्रॉयड मोबाइल फोन की दुनिया का सबसे तेजी से प्र‍गति करता आपरेटिंग सिस्‍टम है। जिसको गूगल के द्वारा बनाया गया है और यह पूरी तरह से नि शुल्‍क है एंड्रॉयड आपरेटिंग सिस्‍टम अपने दिलचस्‍प नामों की वजह से भी लो‍कप्रिय है
  14. एप्‍लीकेशन (Application) - सभी Computer और Android प्रोग्राम जो अलग-अगल काम करने के लिये बनायें जाते हैं Application कहलाते है। Microsoft Word, Microsoft Excel, Adobe Photoshop, Google Chrome आदि लोकप्रिय एप्लीकेशन हैं।
  15. एफिलिएट (Affiliate) -  ई-कॉमर्स (E-commerce) कंपनियां नये ग्राहकों को जोडनेे और प्रचार करने के लिये एफिलिएट मार्केटिंग (Affiliate Marketing) का सहारा लेती है, फिलिएट मार्केटिंग (Affiliate Marketing) के लिये आम यूजर्स का ही सहारा लिया जाता है और होने वाले फायदे में यूजर्स को कुछ कमीशन दिया जाता है जो यूजर्स एफिलिएट मार्केटिंग (Affiliate Marketing) करते हैं को एफिलिएट (Affiliate) कहा जाता है
  16. एंटीकाईथेरा प्रणाली (Antikythera Mechanism) - एंटीकाईथेरा (Antikythera)असल में एक खगोलीय कैलकुलेटर था जिसका प्रयोग प्राचीन यूनान में सौर और चंद्र ग्रहणों को ट्रैक करने के लिए किया जाता था, एंटीकाईथेरा यंञ लगभग 2000 साल पुराना है, वैज्ञानिको को यह यंञ 1901 में एंटीकाइथेरा द्वीप पर पूरी तरह से नष्‍ट हो चुके जहाज से जीर्ण-क्षीर्ण अवस्था में प्राप्‍त हुआ था, एंटीकाईथेरा तंत्र ने आधुनिक युग का पहला ज्ञात एनलोग कंप्यूटर होने का श्रेय प्राप्त कर लिया
  17. एनॉनमस ईमेल (Anonymous Email) - अक्सर कभी कभी हमें कुछ जगह पर अपनी पहचान छिपा कर जानकारी देने की जरूरत होती है, एनॉनमस ईमेल (Anonymous-email) की सहायता से आप बिना अपनी ईमेल आईडी के किसी भी व्‍यक्ति को ईमेल कर सकते है, यानि Anonymous-email उस Email को कहते हैं जिसका कोई नाम पता नहीं होता है या फिर अगर होता भी है तो बिल्कुल Fake होता है।
  18. अवतार (Avatar) - कंप्‍यूटर Avatar आपका ग्राफिकल प्रतिरूप होता है, असल में जब आप गेम खेलते हैं या किसी चैटग्रुप में चैट करते हैं तो यह Avatar आपको री प्रेजेंट करता है, यह और भी कारगर तब होता है जब आप ऑनलाइन  मल्‍टीप्‍लेयर गेम खेल रहे होते हैं
  19. ऑगमेंटेड रियलिटी (Augmented Reality) -ऑगमेंटेड रियलिटी वर्चुअल रिएलिटी का ही दूसरा रूप है, इस तकनीक में आपके आसपास के वातावरण से मेल खाता हुआ एक कंप्‍यूटर जनित वातावरण तैयार किया जाता हैं। यानि आपके आसपास के दुनिया के साथ एक और आभासी दुनिया को जोडकर एक वर्चुअल सीन तैयार किया जाता है, जो देखने में वास्‍तविक लगता है 
  20. एयरप्लेन मोड (airplane mode) -  हवाई जहाज का सफर पूरी तरह से एयर ट्रैफिक कंट्रोल द्वारा भेजे गये निर्देशों, रेडार द्वारा भेजे गये सिग्‍नलों और हवाई जहाज के इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम पर निर्भर रहता है। यह सिग्‍नल एक खास फ्रीक्वेंसी में भेजे जाते हैं। लेकिन मोबाइल नेटवर्क विमान के इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम को नुकसान पहुॅचा सकता है। हवाई याञा के दौरान मोबाइल को एयरप्लेन मोडलगाने पर मोबाइल नेटवर्क पूरी तरह से बंद हो जाते हैं, लेकिन आप फोन से अन्य काम ले सकते हैं जैसे म्यूजिक सुनना, गेम्‍स खेलना आदि और हवाई सफर बिना किसी परेशानी और बोरियत के पूरा हो जाता है।

Tuesday 27 March 2018

(9) Antivirus and Antivirus Types

Antivirus ( एंटीवायरस) :- हमारे कंप्यूटर में वायरस को खोजकर उसे नष्ट करने के लिए बनाये गए प्रोग्राम को एंटीवायरस (ANTI VIRUS) कहते है।
Antivirus एक software program होता है। जो user को virus के आक्रमण से बचाता है। यदि ये system के configuration(व्यवस्था का प्रारूप) को संतुष्ट करे  तब ये प्रयेक computer system में install हो जाते है।
Antivirus programs को स्वयं अथवा user की आज्ञा(Command) से सिस्टम को check करते हैं तथा दूषित फ़ाइलो (Contaminated files) को scan करके delete कर देता है
Antivirus को निरन्तर internet के द्वारा update करते रहना चाहिए। चूँकि नये virus को नष्ट करने की सामर्थ्य(Strength) update antivirus में होती है
आज के समय में कई एंटीवायरस बाजार में और इंटरनेट पर उपलब्ध है। कुछ मुख्य एंटीवायरस इस प्रकार हैं-

कुछ antivirus के उदाहरण :-  AVG , Avast , Norton , avira , McAfee... etc
वायरस कहाँ आक्रमण करता है।

वायरस बहुत सी operating system एवं system file तथा application files को दूषित अथवा नष्ट करता है। जैसे-
Flies
Windows files
Sources code
Disk clusters
Macros
System sector/ system files
Companion files





इनका ऑटो प्रोडक्ट इस्तेमाल से पहले प्रोग्राम और ईमेल का जाँच करके उसे वायरस मुक्त बनाता है। यदि आपके कंप्यूटर में कोई वायरस सक्रीय हो रहा है या हो गया है तो आपको ये सूचित करता है।
अब बात आती है की एंटीवायरस के प्रयोग द्वारा कंप्यूटर को कैसे सुरक्षित रखा जाय-

1. अपने कंप्यूटर को वायरस मुक्त रखने के लिए समय समय पर एंटी वायरस द्वारा स्कैन किया जाना चाहिए।

2. जब भी आप अपने कंप्यूटर में अलग से मेमोरी लगाएं तो उसे एंटीवायरस द्वारा जरूर स्कैन करें।

3.कंप्यूटर में सीडी लगाते समय ये देख ले की सीडी पर कोई स्क्रेच तो नहीं है। सीडी लगाने के बाद उसे स्कैन जरूर करें।

4.अगर आपको एंटीवायरस द्वारा स्कैन करने पर कोई वायरस मिलता है तो उसे नस्ट कर दे।

5. गेम को कंप्यूटर में रन करने से पहले स्कैन जरूर कर लें।

6. आप कभी भी फ्री एंटीवायरस का प्रयोग अपने कंप्यूटर में न करें। कुछ एंटीवायरस आपको फ्री ट्रॉयल देती है कुछ समय यूज़ करने के लिए आप उसका प्रयोग करके देख सकते हैं की आपके कंप्यूटर में कौन सा एंटीवायरस सही काम कर रहा है।

7. जो एंटीवायरस आपके कंप्यूटर में सही काम करे उसे ही अपने कंप्यूटर में रखें।

8. एंटीवायरस को समय-समय पर अपडेट जरूर करें।

9. आप अपने कंप्यूटर के लिए अच्छा एंटीवायरस ही खरीदें मुफ़्त एंटीवायरस पर ध्यान न दे।

10.एक बार में एक ही एंटीवायरस रखेँ अपने कंप्यूटर पर इससे आपके कंप्यूटर की स्पीड अच्छी रहेगी।

(8) Antivirus computer में होने के Advantage

(7) Virus के प्रकार

Time bomb :- यह एक ऐसा वायरस है जो एक निश्चित समय तक , जो की इसे programmed  करते समय इसमें डाला जाता है तब तक यह inactive  रहता  है तथा उसके उपरांत active ( सक्रिय ) हो जाता है तथा users की Hard drive से बहुत से data को delete कर देता है।
Logical bomb :- यह बम  अपने नाम की तरह ही computers को ill- logical बना देता है। यह virus विशेष परिस्थितियों में सक्रिय होता है जैसे आप pen drive को  format करना चाहते हैं लेकिन computer कि कोई hard drive format हो जाती है।

boot-sector virus :- इस प्रकार के वायरस किसी डिस्क के बूट सेक्टर में संग्रहित होते है। जब हम कंप्यूटर को ऑन करते है तब यह ऑपरेटिंग सिस्टम में लोड होकर इसके कार्य में बाधा डालते है।

 partition table virus :- इस प्रकार के वायरस हार्ड डिस्क के विभाजन तालिका (partition table) को नुकसान पहुंचाता है।

 file virus :- इस प्रकार के वायरस क्रियान्वन योग्य फाइलों के साथ अपने आप को सम्मलित कर लेता है और जब यह फाइल क्रियान्वित या एक्ससिक्युट होते है तब यह उसके साथ क्रियान्वित होकर कंप्यूटर प्रणाली को प्रभावित करते है।

 stealth virus :- यह वायरस अपने आप को कंप्यूटर में छिपा कर रखने का प्रयास करता है।

 polymorphic virus ;- यह वायरस अपने आप को बार-बार बदलने की क्षमता रखते है ताकि पहले से अलग तरीके से संक्रमण फैला सके।ऐसे वायरस को पकड़ पाना अत्यन्त कठिन होता है।

partition table virus :- यह वायरस कुछ विशेष प्रकार की फाइलों को जैसे–स्प्रेडशीट, डॉक्यूमेंट,इत्यादि को नुकसान पहुचाते है।

(6) Virus क्‍या है। तथा उसके प्रकार

Computer virus एक छोटा सा program या software होता है जिसको आपके computer के operation ओर computer के data को delete करने के लिए बनाया जाता है। computer virus हमारी जानकारी के बिना ही हमारे computer system को इस प्रकार खराब कर देता है जिसे ठीक कर पाना हमारे बस की बात नही होती है।
Computer viruses एक अनचाहा computer program होता है। जो अपने आप copy हो सकता है तथा computer का बिना user की नॉलेज ( Knowledge) तथा आज्ञा (Command) के कंप्यूटर को infected कर देता है।

वायरस के प्रकार :-

E-mail virus :- E-mail virus साधारणतः भेजी गई फाईलो के माध्यम से बहुत से कंप्यूटर सिस्टम से एक सिस्टम से दूसरे सिस्टम तक आसानी से पहुँचे जा सकते हैं।
कुछ email virus को तो डबल किलिक करने की भी आवश्यकता नहीं होती है। ये तब lanuch होते हैं जब user मैसेज open करता है।
जैसे - worms , pop-up  , flop - up... etc

Trojan horses virus:- Trojan horses एक साधारण सा दूषित प्रोग्राम होता है। परन्तु यह अपने आप नही फैलता है। यह virus system में तब फैलता है जब user  इसे गलती से  या जानकर activate या run कर देता है। यह एक बहुत खतरनाक virus है यह user की पूरी हार्डडिस्क अथवा किसी की pendrive के डेटा को delete कर सकता है।

Worms :- worms एक छोटा सा software program का एक हिस्सा है जो स्वयं अपनी replica बनाकर कंप्यूटर नेटवर्क्स तथा सिक्योरटी सिस्टम holes में फैल जाता है।
Worms computer नेटवर्क के अन्य computer में भी  सुरक्षित सिक्योरिटी  holes को ढूंढकर उन पर आक्रमण करते हैं। तथा लगातार अपनी copies बनाकर फैलता जाता है।

Thursday 22 March 2018

(5) Booting process of Linux



The following are the 6 high level stages of a typical Linux boot process.
1. BIOS
  • BIOS stands for Basic Input/Output System
  • Performs some system integrity checks
  • Searches, loads, and executes the boot loader program.
  • It looks for boot loader in floppy, cd-rom, or hard drive. You can press a key (typically F12 of F2, but it depends on your system) during the BIOS startup to change the boot sequence.
  • Once the boot loader program is detected and loaded into the memory, BIOS gives the control to it.
  • So, in simple terms BIOS loads and executes the MBR boot loader.
2. MBR
  • MBR stands for Master Boot Record.
  • It is located in the 1st sector of the bootable disk. Typically /dev/hda, or /dev/sda
  • MBR is less than 512 bytes in size. This has three components 1) primary boot loader info in 1st 446 bytes 2) partition table info in next 64 bytes 3) mbr validation check in last 2 bytes.
  • It contains information about GRUB (or LILO in old systems).
  • So, in simple terms MBR loads and executes the GRUB boot loader.
3. GRUB
  • GRUB stands for Grand Unified Bootloader.
  • If you have multiple kernel images installed on your system, you can choose which one to be executed.
  • GRUB displays a splash screen, waits for few seconds, if you don’t enter anything, it loads the default kernel image as specified in the grub configuration file.
  • GRUB has the knowledge of the filesystem (the older Linux loader LILO didn’t  understand filesystem).
  • Grub configuration file is /boot/grub/grub.conf (/etc/grub.conf is a link to this). The following is sample grub.conf of CentOS.
#boot=/dev/sda
default=0
timeout=5
splashimage=(hd0,0)/boot/grub/splash.xpm.gz
hiddenmenu
title CentOS (2.6.18-194.el5PAE)
          root (hd0,0)
          kernel /boot/vmlinuz-2.6.18-194.el5PAE ro root=LABEL=/
          initrd /boot/initrd-2.6.18-194.el5PAE.img
  • As you notice from the above info, it contains kernel and initrd image.
  • So, in simple terms GRUB just loads and executes Kernel and initrd images.
4. Kernel
  • Mounts the root file system as specified in the “root=” in grub.conf
  • Kernel executes the /sbin/init program
  • Since init was the 1st program to be executed by Linux Kernel, it has the process id (PID) of 1. Do a ‘ps -ef | grep init’ and check the pid.
  • initrd stands for Initial RAM Disk.
  • initrd is used by kernel as temporary root file system until kernel is booted and the real root file system is mounted. It also contains necessary drivers compiled inside, which helps it to access the hard drive partitions, and other hardware.
5. Init
  • Looks at the /etc/inittab file to decide the Linux run level.
  • Following are the available run levels
    • 0 – halt
    • 1 – Single user mode
    • 2 – Multiuser, without NFS
    • 3 – Full multiuser mode
    • 4 – unused
    • 5 – X11
    • 6 – reboot
  • Init identifies the default initlevel from /etc/inittab and uses that to load all appropriate program.
  • Execute ‘grep initdefault /etc/inittab’ on your system to identify the default run level
  • If you want to get into trouble, you can set the default run level to 0 or 6. Since you know what 0 and 6 means, probably you might not do that.
  • Typically you would set the default run level to either 3 or 5.
6. Runlevel programs
  • When the Linux system is booting up, you might see various services getting started. For example, it might say “starting sendmail …. OK”. Those are the runlevel programs, executed from the run level directory as defined by your run level.
  • Depending on your default init level setting, the system will execute the programs from one of the following directories.
    • Run level 0 – /etc/rc.d/rc0.d/
    • Run level 1 – /etc/rc.d/rc1.d/
    • Run level 2 – /etc/rc.d/rc2.d/
    • Run level 3 – /etc/rc.d/rc3.d/
    • Run level 4 – /etc/rc.d/rc4.d/
    • Run level 5 – /etc/rc.d/rc5.d/
    • Run level 6 – /etc/rc.d/rc6.d/
  • Please note that there are also symbolic links available for these directory under /etc directly. So, /etc/rc0.d is linked to /etc/rc.d/rc0.d.
  • Under the /etc/rc.d/rc*.d/ directories, you would see programs that start with S and K.
  • Programs starts with S are used during startup. S for startup.
  • Programs starts with K are used during shutdown. K for kill.
  • There are numbers right next to S and K in the program names. Those are the sequence number in which the programs should be started or killed.
  • For example, S12syslog is to start the syslog deamon, which has the sequence number of 12. S80sendmail is to start the sendmail daemon, which has the sequence number of 80. So, syslog program will be started before sendmail.

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